परस्पर विरोधिता क्या है? मेरे मित्र ने अचानक ऐसा सवाल खड़ा कर मुझे झटका दे दिया। पिछले आधे घंटे से मैं उससे परस्पर विरोधी संवादों के विषय में ही चर्चा कर रहा था। अब मेरे समझ में आया की उसे इस संवाद में इतना मज़ा क्यूँ आ रहा था। असल में वो कुछ समझ ही नहीं पा रहा था। मैंने सोचा ये मामला मेरे बस का नहीं है। इस समस्या का समाधान गुरुदेव ही कर सकते हैं। अतैव मैं उसे गुरुदेव की शरण में ले गया।
गुरुदेव- (मेरी तरफ इशारा करते हुए) इसका नाम क्या है ?
मित्र - शक्ति...
गुरुदेव - ध्यान से देखो इसे। लगता है की इसमें शक्ति है? इसका नाम बलहीन दास या छीणप्रसाद होना चाहिए था। पर नहीं, इसका नाम शक्ति है। यही परस्पर विरोधिता है।
घर आते वक़्त रास्ते में दो झुग्गियां हैं, उनका नाम क्या है?
मित्र - विष्णु नगर और सरस्वती विहार।
गुरुदेव - क्या सरस्वती विहार में एक भी स्कूल है? नहीं| क्या वहां का कोई भी बच्चा पढने जाता है- नहीं। लेकिन उसका नाम फिर भी सरस्वती विहार है।
मैंने सोचा की मैं भी अपना सेन्स ऑफ़ ह्यूमर इस्तेमाल कर लूँ। मैंने कहा - आउटसोर्सिंग का ज़माना है सरस्वती जी तो अरेरा कालोनी के स्कूलों में बस्ती हैं|
गुरुदेव - देखा ये दिमाग से भी शक्तिहीन है। गलत समय पे गलत मजाक। ज्यादा अफलातूनी दिखाने की जरूरत नहीं है चुप रहो। (मेरे मित्र से मुखातिब हो कर) विष्णु को जलपति और धनेश की उपाधि दी जाती है है लेकिन तुमने विष्णु नगर में एक भी नल देखा है? क्या वहां कोई अमीर आदमी रहता है? नहीं ना। यही होती है परस्पर विरोधिता।
मैंने इज्ज़त बचाने की पहल की और इस बार कोई पते की कोई बात बोलने की कोशिश भी। मैंने कहा जिस ट्रेन से हम लोग मणिपाल जाते थे उसका नाम मंगला लक्षद्वीप एक्सप्रेस था। लेकिन वो लक्षद्वीप नहीं जाती थी। और खुद ही हंसने लगा। गुरुदेव मौन रहे। मैं थोड़ी देर तक अपनी मूर्खता पे ठहाका लगता रहा। मेरे चुप होने के बाद गुरुदेव ने कहा - एक मूर्ख का दिमाग चलाना भी स्वाभाविक तौर से परस्पर विरोधिता है।
पुनश्चः - मेरा ब्लॉग पढने वालों की फेहरिस्त में कुल ७ विदेशी हैं। २ मलेशियाई, २ अरबी, १ अमेरिकी, १ ब्रिटिश और १ चीनी। अब मेरे समझ में ये नहीं आ रहा की ये अँगरेज़ मेरा हिंदी वाला ब्लॉग कैसे पढ़ पा रहे होंगे। उनका मेरे ब्लॉग को नियमित रूप से पढना, मेरे लिए एक परस्पर विरोधी घटना है।
Aap angreji ke paradox ki baat kar rahein hain.. Hindi ka gyaan jo hai aapna bahut uchch type ka hai.. Uchke hue insaan hain aap.. :P
ReplyDeleteIss liye main aapko apna guru maan kar sadar pranaam karti hoon!
PS: I don't know how I missed this post for 3 whole days! I must have been really sleepy..
kaash is blog me like karne ka option hota...mere paas comment karne ko kuch nahi hota....
ReplyDeleteMangal Lakshadweep ne mujhe bhi khoob hasaya!
ReplyDeleteTere post ka Google translation:
ReplyDelete"Cross Avirodhita is? My friend questioned me like a sudden blow given. Conflicting than half an hour I was discussing in the subject of dialogue. Now it's my understand why there was so much fun in this dialog. In fact he could not understand anything. I thought it just is not my case. The solution can only Guru. Ateia I took refuge at the Guru.
Guru - (pointing at me) What's his name?
Friends - power ...
Guru - Look carefully at it. Feel the power? The name should Chieonprasad slaves or debilitate. But no, his name is power. This cross is Avirodhita.
Fall two shanties on the way home right now, their name?
Friends - Vishnu Nagar and Saraswati Vihar.
Guru - What Saraswati Vihar, a single school? No | Are there any child to read is - No. But his name still is Saraswati Vihar.
I thought I'll use my sense of humor. I said - Muse live sourcing is zamana the Arera Colony schools are township |
Guru - seen from these brain is powerless. Pay wrong time wrong joke. Aafalatunie do not need to show more quiet. (My friend to be exposed) are given the title of Vishnu Dhneash Jlpti and Vishnu in the city, but you've seen a single tap? Whether there is a rich man? No, right. This is the mutual Avirodhita.
I respect the initiative to protect and nothing to address the time someone tried to speak. I said the train we were Manipal his name was Mangala Lakshadweep Express. But he did not go Lakshadweep. And started laughing himself. Gurudev are silent. I think for a while Thaka to pay their stupidity. After my quiet Gurudev said - even running a fool's mind is obviously mutual Avirodhita.
Punesacः - those who read my blog Fehariast total of 7 are foreign. 2 Malaysian, Arabic 2, 1 American, 1 British and 1 Chinese. Now it's my understanding they do not seem to be reading Aँgharez how to blog with my Hindi. They read my blog regularly, I have a conflicting event."
@ajinkya : ha ha google is funnier than me man.
ReplyDelete@ruhi : tu ek comment post kar diya kar LIKE likh kar main samajh jaunga. :P
@ami : don't comment for commenting sake. You are nice to strangers like rajes and when it comes to me you do formality.
@centrifugal mind: Rajes is an admirer of a-me. i will give him as much attention as i want. tere baap ka kya ja raha hai?
ReplyDeleteand my comment had paradox. you just didn't get it. lame you are. like Google translate.
Hahahaha.... massttt :)
ReplyDelete-Dhiraj