Thursday, September 29, 2011

फ़लक तक चलो 
तो साथ चलेंगे|
ऊब चुके हैं चाँद से 
मार्स पर चलो
तो साथ चलेंगे|
बहुत कर लीं राम की बातें
जो साक़ी की बात करो
तो साथ चलेंगे|
संगेमर्मर्र पर चल चुके बहुत
जो सरेआम चलो
तो साथ चलेंगे|

Sunday, September 25, 2011

देश का युवा

अंगार पे चल रहा है
सेक्स में जल रहा है
इस देश का युवा गरीबी में पल रहा है|

आईटी की बहार है
वो बेरोजगार है 
कपडा-लत्ता बीड़ी सब उधार है
खुदा बुत में ढल रहा है
धर्म का कीड़ा पल रहा है
इस देश का युवा 
गरीबी में पल रहा है|

मूक इसका नारा है
भ्रष्टाचार का सहारा है
नेता जो आवारा है 
विकास को वो छल रहा है
जात का धंधा फल रहा है
इस देश का युवा
गरीबी में पल रहा है|