मनुष्य और कुत्तों का एक अनूठा सम्बन्ध है| मनुष्य ने आदि काल से इस बात का प्रचार किया है की कुत्ता मनुष्य का परम मित्र होता है| और मनुष्य कुत्ते को पालता है| सच्चाई तो ये है की मनुष्य हमेशा ही कुत्ता बनाने की चेष्टा करता है और सृष्टि के सृजन से आज तक वो कुत्ते के विलास की वास्तु रहा है| मनुष्य स्वभावतया ही स्वार्थी और डरपोक होता है। इसीलिए उसने ऐसी भ्रांतियां फैलाई हैं।मनुष्य का कुत्तों के प्रति भय और ऐसा प्रचार, मनुष्यों के भीरूपन और जलन का द्योतक है|
सत्य तो ये है की हर स्त्री की ये कामना होती है की उसका पति कुत्ते जैसा हो| वो सदैव उसके पल्लू से बंधा रहे। उसी के द्वार से रोटी खाए और इधर उधर मुह ना मारे। मरते दम तक उसके साथ रहे, और यदि उस पर कभी कोई आंच आये तो पति रुपी कुत्ता हमलावर पे टूट पड़े | पुरुषों की भी अपनी जीवन संगिनी में एक कुतिया देखने की लालसा होती है| वे कामना करते हैं की उनकी पत्नी मोहल्ले की सुंदरी हो| सारे कुत्ते उसके दीवाने हों| लेकिन कुतिया बस उनसे ही प्रेम करे| वो बाकी मनचले कुत्तों को अधीर तो करे, वो भी कुछ इस अदा से की सारे कुत्ते उसके पीछे दुम हिला कर चलते रहें और जरूरत पड़ने पर घर का सारा काम कर जायें| लेकिन जैसे ही कुतिया का काम हो जाये वो भौंक कर या काट कर, जो भी यथोचित हो, उन्हें भगा दे|
मानवों ने हमेशा ही कुत्तों को अपना आदर्श माना है| यही कारण है की कुत्ता किसी भी देवता का वाहन नहीं है, क्यूंकि कुत्ता सर्वोपरि है| महाभारत में भी कुत्तों को विशिष्ट स्थान प्राप्त है| जब युधिष्ठिर पर्वत पर चढ़ रहे थे और उनके सारे भाई दम तोड़ चुके थे, तो उनका मनोबल बढ़ने के लिए कुत्ता ही उनके साथ चला था| इस कुत्ते की प्रेरणा से ही युधिष्ठिर धर्मराज बन पाए|
मानव ने गोपनीय तरीके से सदैव कुत्ता बनाने की चेष्टा की है| मानव को कुत्ता बनाने की शिक्षा बचपन से ही दी जाती है| छात्रों को सिखाया जाता है की जीवन में आगे बढ़ने के लिए कुत्ते की तरह सोना जरूरी है| जब भी कोई आदमी साहसी कार्य करने की चेष्टा करता है, कुत्ते की ही उपमा दी जाती है| कहा जाता है - क्या तुम्हें पागल कुत्ते ने कटा है| इस उपमा में 'पागल' शब्द का इस्तेमाल मनुष्यों का कुत्तों के प्रति जलन का द्योतक है| जो मनुष्य तलवे चाटने की कुत्तिय परंपरा को अपना लेते हैं, उन्हें सफल मन जाता है और अक्सर ऐसे मनुष्य ऊँचाइयों पर पाए जाते हैं (जैसे की नेता और मैनेजमेंट गुरु)| जो लोग ऐसा कर पाने में बहुत सफल नहीं हो पते यानि चाटते हुए जिनके दांत लग जाने खतरा होता है, उन्हें चाटूकार की श्रेणी में रखते हैं|
धीरे- धीरे मानव सभ्यता का विकास हो रहा है और आदमी ने इस बात को खुले तौर पर स्वीकार करना शुरू कर दिया है की वो कुत्ता बनाना चाहता है| इसीलिए पाश्चात्य देशों में नारी को 'BITCH' अर्थात कुतिया कहने का प्रचालन जोर पकड़ रहा है| नेताओं की विशेष कर मानव रुपी कुत्ते पालने का बड़ा शौक होता है| इसलिए वे हमेशा ट्रेनी कुत्तों से घिरे रहते है, जो उनकी एक आवाज़ पर सड़कों पर लोटने लगते हैं, नारे लगाते हैं और हाथापाई पर भी उतर आते हैं| मनुष्य कुत्ते के अन्य काम, जैसे की रखवाली करना भी सीख रहा है| आज कल हर बंगले के बाहर 'सिक्यूरिटी गार्ड' नामक जीव का दिखना आम बात हो गयी है| सिक्यूरिटी एजेंसियां अपनी सार्थकता साबित करने के लिए कुत्तों को बदनाम कर रही है| एक सिक्यूरिटी कंपनी का नाम डोबर्मन था| उसके गार्ड रात को लोगों की अन्दर आने जाने के लिए २०-३० रुपये की मांग करते थे| जबकि कुत्तों ने आज तक ऐसी फिरौती की कभी मांग नहीं की है| मानवों की दुम का भी विकास नहीं हो पाता है| इससे यह सिद्ध होता है आगे डगर लम्बी है, मनुष्यों को सम्पूर्णतया कुत्ता बनाने में अभी कुछ और वक्त लगेगा|
अगर आप बम्बई में मेरे स्कूल में पढ़े होते, आप हिंदी भाषा के topper होते.. निबंध अच्छा लिखा है आपने - mister अंजनिदास आज़ाद!
ReplyDeleteमन में एक ख़याल आया पढ़ते पढ़ते.. बताती हूँ..
देखिये.. कुत्तों के गुण भी मनुष्यों ने बनाकर कुत्तों पर थोप दिए हैं.. कौन कहता है की कुत्तों की भाषा में कुत्ते ऐसे ही हैं? ना?
ख़ैर छोडिये.. मैं समझा नहीं पा रही..
हेस्टिया जी आप इस चिट्ठे की सबसे नियमित पाठक हैं. हर बार पहली टिपण्णी आप ही से प्राप्त होती है. उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteआप लिखें, और हम ना पढ़ें? यह ब्लॉग मेरे लिए अपनी भाषा सुधरने के लिए एक माध्यम है! आप लिख कर, हम पर, अपनी कृपा बनाये रखिये! धन्यवाद कह कर मुझ जैसी नाचीज़ को शर्मिंदा ना कीजिये!
ReplyDeleteLIKE!
ReplyDeleteSUper duper like :) MAzaa aa gaya... ati uttam nibandh lekhak hain aap. :) <3
ReplyDelete-Dhiraj