Monday, March 7, 2011

घटा है

माँ इक रोती रही है रात भर,
लड़का उसका लहू किया गया है बीच बाज़ार में|
इक चीख हवा में तैर कर रह गयी है,
हुआ है बलात्कार मानवता के अन्धकार में|
इन्सां इक और आज ख़त्म हुआ है भुखमरी से,
शायद कुछ ज्यादा ही पीछे खड़े था गणतंत्र की कतार में|
पुलिस के डाँडो ने हड्डियां बस नाम की छोड़ी हैं,
उसके बदन में जो लगाता रहा नारे बदलाव की गुहार में|

दयालु भगवान् के आँखों के सामने ही ये सब हुआ होगा,
लोग कहते हैं वो मौजूद है हर जगह संसार में|

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