जब इस ब्लॉग को शुरू करने का विचार आया तो मैंने अपने उसी दोस्त से इस बारे में बात की। उसने मेरे विचार को वैसे ही प्रोत्साहित किया जैसे स्वामी रामदेव अपने किसी चेले को प्राणायाम करके गैस की बीमारी से निजत पा लेने पर करते हैं। मैंने उसी छण उस मित्र को अपना गुरु मान लिया और सोचा की सारी शंकाओं का निवारण करा लूँ|
पहली समस्या बड़ी ही आम है, पर है बड़ी ही जटिल। देश के सभी बड़े कवियों, साहित्यकारों का तखल्लुस रहा है, और चूँकि मैं ये मान चूका था की मैं भी हिंदी साहित्य का उभरता हुआ चेहरा हूँ; बिना तखल्लुस के मैं अनाथों जैसा महसूस कर रहा था। मैंने गुरुदेव पर प्रश्न का पहला बाण छोड़ा।
मैंने उनसे कहा "आप ही कोई अच्छा सा तखल्लुस सुझाइए"। गुरूजी ने बड़े प्रेम से अपने बायीं हाँथ की छोटी ऊँगली (जिसका इस्तेमाल लोग मुख्यतया ये दिखाने के लिए करते हैं की उन्हें जल्द से जल्द सड़क के किसी कोने या पेड़ के आड़ की जरूरत है) कान में घुसेड़ी और जोर से कम्पन करने लगे। ऐसा करते ही उन्होंने आँखें मूँद लीं। ऐसा लग रहा था जैसे आँखें मूंदते ही उन्हें किसी असीम ज्ञान की प्राप्ति हुई है, चेहरे पर सुकून के साथ एक मधुर मुस्कान आ गयी थी। जब अगले दो मिनट तक वो इसी मुद्रा में रहे तो मेरी समझ में आया की शायद मेरे इस 'तखल्लुस' के इस्तेमाल से उन्हे तकल्लुफ हुआ है। मैंने सरल हिंदी में उन्हें दिनकर, दीनबंधु निराला और गुलज़ार का उदहारण दे कर समझाया की इसे अंग्रेजी में सूडोनेम कहते हैं| सूडोनेम और लेखक के नाम में वही रिश्ता होता है जो सुदोनेम की स्पेल्लिंग और उच्चारण में होता है। इसे लिखते pseudoname हैं और बोलते समय p को गायब कर देते हैं। उसी तरह लेखक लिखता कुछ भी अनाप शनाप है लेकिन गाली खाने के डर से कोई और नाम इस्तेमाल करता है| गुरूजी ने फिर भी आँखें नहीं खोली और साबित कर दिया की वे सच्चे सतयुगी गुरु हैं, पहले छात्र की परीक्षा लेते हैं फिर कुछ बताते हैं। आज के टुच्चे ट्यूशन पढ़ने वाले मास्टरों की तरह नहीं, जो पहले फीस लेते हैं फिर ज्ञान की घूँट पिलाते हैं और अंत में परीक्षा लेते हैं|
मैं अपनी काबिलियत साबित करने के लिए थोड़ी देर सोच कर बोला "आज़ाद रख लेता हूँ| मेरे विचारों की तरह स्वछन्द नाम है|" गुरुदेव के नयन कमल धड़क से खुल गए जैसे शिव जी का तीसरा चक्षु कामदेव को भस्म करने के लिए खुला था| उन्होंने कहा "नाम ही रखना है तो कोई धार्मिक नाम रखो; लाल लंगोटी वाले का ध्यान करो और कोई अच्छा नाम बताओ| हनुमान प्रसाद पोद्दार जी ऐसे ही थोड़े ना फेमस हो गए, हनुमान जी का आशीर्वाद था की ये सब हो पाया|" मैं अपने साथ साथ प्रभु को बदनाम नहीं करना चाहता था सो मैंने सोचा कोई ऐसा नाम रख लिया जाये जो आसानी से भगवन की तरफ ऊँगली ना करता हो| दिमाग के घोड़े को मैंने जोर से चाबुक मारा और तेज़ दौड़ाया| हनुमान महाप्रभु के अनेक नामो में से एक अंजनिपुत्र है मैंने सोचा ये नाम अच्छा रहेगा, अनुप्रास अलंकार का उदहारण भी बनाने की क्षमता रखता है| मैंने गुरुदेव की तरफ असीम आदर भाव से देख कर कहा - "अंजनी आज़ाद रख लेता हूँ"| गुरुदेव की तीसरी आँखें फिर खुलीं उन्होंने मुझे देख कर कहा - "साले! अंजनी हमेशा से आज़ाद थे| ज्यादा फैंटम ना बनो| हम सब तो उनके चरणों की धुल हैं, उनके दास| नाम रखो अंजनी का दास|"
मुझे ये नाम कुछ ज्यादा पसंद नहीं आया| असल में मुझे इस बात का भय था की अगर कभी गलती से भी नाम लिखने में गलती हुई तो लोग मुझे कोई बंगाली लड़की(अन्जनिका दास) समझ कर मेरा मेल बॉक्स स्पैम से ना भर दें| भारतवर्ष में लोग नाम पढ़ कर ही कयास लगा लेते हैं की लड़की कितनी खूबसूरत होगी| इन्टरनेट का इस्तेमाल जानती है तो जरूर orkut और facebook जैसी साईट पर इसके फोटो होंगे| फिर उनका बहुत सा समय उसकी कम कपड़ों वाली फोटो खोजने को समर्पित कर दिया जाता है| तो मैंने अपने बेरोजगार और एन्जीनीरिंग की पढाई करने वाले अनेको भाइयों का बहुमूल्य समय बचने के लिए और अन्जनिका नाम की हर लड़की की आबरू की रक्षा करने के लिए नाम अंजनिदास आज़ाद रख लिया|
मुझे चार घन्टे लगे, शक्ति
ReplyDeleteI don't think that's bad. So, I will read. Keep writing :)
शक्ति बहुत बढ़िया लेख है. इस लेख के पठन पश्चात हम तुम्हें 'लेख़्शक्ति आज़ाद' बुलाना चाहेंगे (अगर अनुमति हो तभी!)
ReplyDeleteआपका ब्लॉग पढ़ने में मेरी आँखों की पुतलियाँ कमज़ोर हो गयीं हैं! जहाँ तक मेरी हिंदी पढने की बात आती है, आप जानते ही हैं की मैं कैसे पढ़ा करती हूँ! उस गति में मैंने आपका ये लेख पढ़ा! लेकिन, पढ़ा! आपसे बस एक सवाल पूछना चाहूंगी... आप थाली के बैंगन क्यूँ बने फिरते हैं? मेरी बात को ऐसे ही ना तलियेगा, मैं इस मुहावरे का अर्थ समझती हूँ! जब जैसा पढ़ते हैं आप, तब वैसा ही सोचने और करने भी लगते हैं.. क्या द्विवेदी जी? सच्ची वीरता कहाँ हैं आपकी? अभी तो आप जवान हैं!
ReplyDeleteKripaya mere naam se jude 'link' par 'click' kijiye. Meri tippani aapko mil jayegi.
ReplyDeleteLikhte rahiyega.
@ anusha: itni mehnat karne ke liye dhanyawad
ReplyDelete@ akhilesh bahiya: padhne ke liye shukriya. aap to koi bhi naamkaran kar sakte hain :P
@ Hestia: padhne ke liye dhanyawad.
@ Ajinkya: Aapke bahumulya blogpost ke liye dhanyawad.