अंगार पे चल रहा है
सेक्स में जल रहा है
इस देश का युवा गरीबी में पल रहा है|
आईटी की बहार है
वो बेरोजगार है
कपडा-लत्ता बीड़ी सब उधार है
खुदा बुत में ढल रहा है
धर्म का कीड़ा पल रहा है
इस देश का युवा
गरीबी में पल रहा है|
मूक इसका नारा है
भ्रष्टाचार का सहारा है
नेता जो आवारा है
विकास को वो छल रहा है
जात का धंधा फल रहा है
इस देश का युवा
गरीबी में पल रहा है|
Baat toh sahi ki hai.. Lekin mere dil mein thodi si asha ab tak barkarar hai..
ReplyDelete